मिशन इंद्रधनुष का परिचय
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2014
को मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया था। यह मिशन 2020 तक सबको टीकाकरण
कार्यक्रम के तहत टीके से वंचित और आंशिक रूप से टीकाकरण में शामिल किए
जा चुके सभी बच्चों को टीके लगाने की विशेष राष्ट्रव्यापी पहल के रूप में
आरंभ किया गया है।
मिशन के तहत भारत में 2013 में 65 प्रतिशत बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का
विस्तार कर अगले पांच साल में कम से कम 90 प्रतिशत बच्चों को टीके लगाने
पर ध्यान
केंद्रित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत देशभर में सात खतरनाक
बीमारियों से सुरक्षा के लिए टीके लगाने पर ध्यान दिया जाना है।
यह बीमारियां हैं:गलघोंटू, जोर की खांसी, टिटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और
हेपेटाइटिस बी। इसके अतिरिक्त, चुने हुए जिलों/राज्यों में हेमोफिलस
इन्फ्लुएंजा टाइप बी और जापानी इनसेफलाइटिस से बचाव के टीके भी लगाए जा
रहे हैं।
यह कार्यक्रम हर साल 5 प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण टीकाकरण में
तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाएगा।
मिशन इंद्रधनुष के तहत, स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में 201 जिलों की
पहचान की है जहां सबसे अधिक ध्यान दिया जाएगा। इन जिलों में आंशिक
टीकाकरण वाले या बिना टीकाकरण वाले सबसे अधिक बच्चे हैं। सभी टीकाकरण
वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों में से लगभग 50 प्रतिशत इन 201 जिलों
में हैं। 201 जिलों में से 82 जिले चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार,
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हैं। भारत में टीकों से वंचित या आंशिक
टीकाकरण वाले करीब 25 प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के 82 जिलों में हैं।
देश में नियमित टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए इन जिलों में गहन प्रयास
किए जाएंगे। इस कार्यक्रम का अंतिम लक्ष्य भारत में सभी बच्चों और
गर्भवती महिलाओं को ऐसी बीमारियों से सुरक्षित करना है जिनसे बचाव संभव
है।
विशेष ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्र
मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में 201 जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता
देने का लक्ष्य तय किया है तथा 2015 में दूसरे चरण में 297 जिलों को
लक्ष्य बनाया गया है। मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन 201 उच्च
प्राथमिकता वाले जिलों में 7 अप्रैल, 2015 विश्व स्वास्थ्य दिवस के दिन
से आरंभ होगा।
इन जिलों में इस मिशन के तहत पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के जरिए पहचानी गई
4,00,000 उच्च जोखिम वाली बस्तियों पर ध्यान दिया जाएगा। इन क्षेत्रों
में भौगोलिक, जनांकिकीय, जातीय और संचालन संबंधी अन्य चुनौतियों के कारण
कम टीके लगाए जा सके हैं। प्रमाणों से पता चलता है कि अधिकतर टीकाकरण से
वंचित और आंशिक टीकाकृत बच्चे इन्हीं क्षेत्रों में हैं।
विशेष टीकाकरण अभियानों के जरिए निम्नलिखित क्षेत्रों को लक्ष्य बनाया जाएगा:
· पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के जरिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान
की गई। इन क्षेत्रों में ऐसी आबादी रहती है-
o प्रवासियों की शहरी झुग्गी बस्तियां
o घुमंतू प्रजातियां
o भट्टा मजदूर
o निर्माण स्थल
o अन्य प्रवासी ( मछुआरों के गांव, दूसरी जगह रहने वाली आबादी के नदी
तटीय क्षेत्र इत्यादि) तथा
o अल्प सेवा पहुंच वाले और दूर दराज के क्षेत्र ( वन क्षेत्र में रहने
वाली और आदिवासी आबादी इत्यादि)
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भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2014
को मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया था। यह मिशन 2020 तक सबको टीकाकरण
कार्यक्रम के तहत टीके से वंचित और आंशिक रूप से टीकाकरण में शामिल किए
जा चुके सभी बच्चों को टीके लगाने की विशेष राष्ट्रव्यापी पहल के रूप में
आरंभ किया गया है।
मिशन के तहत भारत में 2013 में 65 प्रतिशत बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का
विस्तार कर अगले पांच साल में कम से कम 90 प्रतिशत बच्चों को टीके लगाने
पर ध्यान
केंद्रित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत देशभर में सात खतरनाक
बीमारियों से सुरक्षा के लिए टीके लगाने पर ध्यान दिया जाना है।
यह बीमारियां हैं:गलघोंटू, जोर की खांसी, टिटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और
हेपेटाइटिस बी। इसके अतिरिक्त, चुने हुए जिलों/राज्यों में हेमोफिलस
इन्फ्लुएंजा टाइप बी और जापानी इनसेफलाइटिस से बचाव के टीके भी लगाए जा
रहे हैं।
यह कार्यक्रम हर साल 5 प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण टीकाकरण में
तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाएगा।
मिशन इंद्रधनुष के तहत, स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में 201 जिलों की
पहचान की है जहां सबसे अधिक ध्यान दिया जाएगा। इन जिलों में आंशिक
टीकाकरण वाले या बिना टीकाकरण वाले सबसे अधिक बच्चे हैं। सभी टीकाकरण
वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों में से लगभग 50 प्रतिशत इन 201 जिलों
में हैं। 201 जिलों में से 82 जिले चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार,
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हैं। भारत में टीकों से वंचित या आंशिक
टीकाकरण वाले करीब 25 प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के 82 जिलों में हैं।
देश में नियमित टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए इन जिलों में गहन प्रयास
किए जाएंगे। इस कार्यक्रम का अंतिम लक्ष्य भारत में सभी बच्चों और
गर्भवती महिलाओं को ऐसी बीमारियों से सुरक्षित करना है जिनसे बचाव संभव
है।
विशेष ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्र
मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में 201 जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता
देने का लक्ष्य तय किया है तथा 2015 में दूसरे चरण में 297 जिलों को
लक्ष्य बनाया गया है। मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन 201 उच्च
प्राथमिकता वाले जिलों में 7 अप्रैल, 2015 विश्व स्वास्थ्य दिवस के दिन
से आरंभ होगा।
इन जिलों में इस मिशन के तहत पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के जरिए पहचानी गई
4,00,000 उच्च जोखिम वाली बस्तियों पर ध्यान दिया जाएगा। इन क्षेत्रों
में भौगोलिक, जनांकिकीय, जातीय और संचालन संबंधी अन्य चुनौतियों के कारण
कम टीके लगाए जा सके हैं। प्रमाणों से पता चलता है कि अधिकतर टीकाकरण से
वंचित और आंशिक टीकाकृत बच्चे इन्हीं क्षेत्रों में हैं।
विशेष टीकाकरण अभियानों के जरिए निम्नलिखित क्षेत्रों को लक्ष्य बनाया जाएगा:
· पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के जरिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान
की गई। इन क्षेत्रों में ऐसी आबादी रहती है-
o प्रवासियों की शहरी झुग्गी बस्तियां
o घुमंतू प्रजातियां
o भट्टा मजदूर
o निर्माण स्थल
o अन्य प्रवासी ( मछुआरों के गांव, दूसरी जगह रहने वाली आबादी के नदी
तटीय क्षेत्र इत्यादि) तथा
o अल्प सेवा पहुंच वाले और दूर दराज के क्षेत्र ( वन क्षेत्र में रहने
वाली और आदिवासी आबादी इत्यादि)
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