Wednesday, June 10, 2015

indian and myanmar joint operation

भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के
दो कैंप पुरी तरह तबाह कर डाले। सेना की इस कार्रवाई में करीब 100
उग्रवादियों के मारे जाने की खबर है।

सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इसकी पुष्टि करते हुए
कहा कि ये प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया ऐतिहासिक और साहसिक फैसला था। ये
उन पड़ोसी देशों के लिये भी एक कड़ा संदेश है जो आतंकवाद को बढ़ावा देते
हैं।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते चार जून को मणिपुर के चंदेल जिले में
उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया था जिससे सेना के 18 जवान शहीद हो
गए। इसके बाद सरकार ने तय किया कि उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की
जाए। उसी का नतीजा रहा कि सेना को पक्की खबर मिली कि मणिपुर और नगालैंड
सीमा पर उग्रवादी फिर से हमले की साजिश रचने में लगे हैं। फिर क्या था,
म्यांमार सरकार के सहयोग से योजनाबद्ध तरीके से सेना ने उग्रवादी कैंपों
पर सुबह साढ़े नौ बजे हमला बोल दिया।

सेना की इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा उग्रवादी मारे गए हैं। इनमें
ज्यादातर वही उग्रवादी थे जो घात लगाकर 18 जवानों की हत्या करने में
शामिल थे। इस अभियान में उग्रवादियों के दो कैंप पूरी तरह से बरबाद कर
दिए गए हैं। 18 जवानों की हत्या के बाद निराश और क्रोधित भारतीय सेना के
लिए इस कार्रवाई को मनोबल ऊंचा करने वाला बताया जा रहा है। इस कार्रवाई
में सेना ने MI-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया।

सेना के सूत्रों का कहना है कि 1993 के बाद भारतीय सेना ने म्यांमार
बॉर्डर पार करके ऐसे कार्रवाई को अंजाम दिया और इसमें वहां की सरकार व
सेना ने भी भारतीय सेना का भरपूर सहयोग किया। सूत्रों के अनुसार भारतीय
पैरा कमांडो सुबह MI-17 हेलीकॉप्टर से म्यांमार सीमा में गए और ऑपरेशन को
अंजाम देकर वापस लौट आए। खास बात ये भी कि इस कार्रवाई में कोई भी कमांडो
घायल तक नहीं हुआ।

इससे पहले 2003 में सेना ने ऐसा ऑपरेशन भूटान सीमा में घुसकर उल्फा के
खिलाफ किया था। सेना ने जिस तरह की कार्रवाई की है, ऐसे ही हालात 2008
में मुंबई हमले के वक्त भी बन गए थे। उस समय भी एलओसी पार करके पीओके में
ऐसी ही कार्रवाई की बात कही जा रही थी, लेकिन सरकार की ओर से ग्रीन
सिग्नल न मिलने की वजह सेना सरहद पार बैठे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई
नहीं कर पाई।

वैसे म्यांमार से लगी भारत की सीमा 1643 किलोमीटर लंबी है। दोनों देशों
के बीच पाकिस्तान सीमा का तरह बाड़ नहीं लगी है। इसकी का फायदा कई दफा
उग्रवादी संग्ठन उठाते हैं और यही वजह है कि 4 जून को उग्रवादी मणिपुर
में सेना के काफिले पर हमला करने के बाद म्यांमार की तरफ भाग निकले थे।

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